एमपी की 'लाडली बहनों' के चेहरे पर आएगी मुस्कान, खाते में आने वाली है किस्त जानें कब निकाल सकती हैं?
मॉस्को. रूस का लूना-25 स्पेसक्राफ्ट 16 अगस्त को भारतीय समयानुसार दोपहर 2:27 बजे चांद की 100 किलोमीटर की ऑर्बिट में पहुंच गया। यह चंद्रमा की ग्रैविटी में कैप्चर हो सके, इसके लिए थ्रस्टर दो बार फायर किए गए। एडजस्टिंग ब्रेक थ्रस्टर को 243 सेकंड के लिए चालू किया। फिर सॉफ्ट लैंडिंग थ्रस्टर को 76 सेकंड के लिए फायर किया गया।
दरअसल, यह स्पेसक्राफ्ट 21 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। इसे रूस की स्पेस एजेंसी रोस्कोस्मोस ने 11 अगस्त को सोयूज 2.1बी रॉकेट के जरिए अमूर ओब्लास्ट के वोस्तोनी कॉस्मोड्रोम से लॉन्च किया गया था। यह जगह मॉस्को से करीब 5,550 किमी ईस्ट में है।
लूना-25 को उसी दिन अर्थ की ऑर्बिट से चांद की तरफ भेज दिया गया था। फिर 12 और 14 अगस्त को स्पेसक्राफ्ट ने अपने पाथ को दो बार थ्रस्टर चलाकर एडजस्ट किया था।
रूस ने 47 साल बाद चांद पर अपना मिशन भेजा है। इससे पहले उसने 1976 में लूना-24 मिशन भेजा था। लूना-24 चांद की करीब 170 ग्राम धूल लेकर सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस पहुंचा था। अभी तक जितने भी मून मिशन हुए हैं वो चांद के इक्वेटर पर पहुंचे हैं, यह पहली बार होगा कि कोई मिशन चांद के साउथ पोल पर लैंडिंग करेगा।
लूना 25 मिशन के मकसद
- चांद की मिट्टी के नमूने लेकर बर्फ की उपस्थिति का पता लगाना
- अपनी लेटेस्ट सॉफ्ट-लैंडिंग और दूसरी स्पेस टेक्नोलॉजी की टेस्टिंग
- साउथ पोल पर मिट्टी की फिजिकल-मैकेनिकल प्रॉपर्टी का अध्ययन
- सोलर विंड के असर को देखने के लिए प्लाज्मा-धूल का अध्ययन
- डीप स्पेस और दूर के ग्रहों की खोज के लिए एक लॉन्चिंग पैड
चांद पर अपना बेस बनाना चाहता है रूस
रूस का लूना-25 मिशन चांद पर उसके फुली ऑटोमेटेड बेस बनाने के प्रोग्राम का हिस्सा है। रोस्कोस्मोस के हेड यूरी बोरिसोव ने बताया कि 2027, 2028 और 2030 में लूना के तीन और मिशन लॉन्च किए जाएंगे। इसके बाद हम चीन के साथ अगले फेज में एंटर करेंगे। इस फेज में हम चांद पर मैन्ड मिशन भेजेंगे और लूनर बेस भी बनाएंगे।
लूना-25 में केवल लैंडर, रोवर नहीं
लूना-25 में केवल लैंडर है। इसे इस तरह से डिजाइन किया गया है कि इसे दो अलग-अलग हिस्सों में बांटा जा सकता है। सबसे ऊपर इंस्ट्रूमेंट कंपार्टमेंट है, जबकि निचले हिस्से में प्रोपल्शन सिस्टम है। लूना-25 में 8 इंस्ट्रूमेंट भेजे गए हैं। ये चंद्रमा पर एक साल तक काम करेगा।
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